विटामिन डी के स्तर को रोजाना सप्लीमेंट लेकर बढ़ाने से कैंसर से मरने का खतरा 13 फीसदी तक कम हो जाता है। एक हालिया शोध में यह दावा किया गया है। विटामिन डी का निर्माण तब होता है जब हमारे शरीर में धूप लगती है। लेकिन, आधुनिक समय में जीवनशैली में हुए बदलाव के कारण हम ज्यादातर समय घर के अंदर ही गुजारते हैं जिससे हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिल पाता है। यूके में पांच में से एक व्यक्ति विटामिन डी की कमी से जूझ रहा है।
पिट्सबर्ग के एलेगहेनी हेल्थ नेटवर्क कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता डॉ. शीफेंग माओ ने बताया कि शोध के परिणामों से पता चला है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है उनमें पैनक्रिया कैंसर और बोवेल कैंसर होने का खतरा दोगुना तक बढ़ जाएगा। 79,000 लोगों पर किए गए शोध के अनुसार रोजाना विटामिन डी का सप्लीमेंट तीन साल तक खाने से कैंसर से मरने का खतरा 13 फीसदी तक कम हो जाता है।
एक अन्य शोध में पाया गया है कि रोज एक विटामिन डी की गोली स्टैटिन के साथ खाने से प्रोस्टेट कैंसर से मौत का खतरा 40 फीसदी तक कम होता है। इन शोधों को अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्लीनिकल ऑनकोलॉजी कॉफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था।
खाने की चीजों में डालें विटामिन डी : अमेरिका, कनाडा, स्वीडन, फिनलैंड और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों से रोजमर्रा खाई जाने वाली चीजों जैसे दूध और ब्रेड में विटामिन डी डालने की सिफारिश की गई है। विटामिन डी धूप के संपर्क में आने से बनता है, लेकिन इसे लीवर, अंडे, रेड मीट और तेल युक्त मछली खाने से भी पाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जो लोग इस तरह की चीजें नहीं खा सकते और जिन्हें पर्याप्त मात्रा में सूरज की रोशनी नहीं मिलती उन्हें विटामिन डी के सप्लीमेंट खाने चाहिए।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी और हर्ले मेडिकल सेंटर के शोध में विटामिन डी का सेवन करने से कैंसर से मरने के खतरे को 13 फीसदी तक कम बताया गया है। इस शोध के दौरान प्रतिभागियों पर दस बार परीक्षण किए गए और इन सब की औसत उम्र 68 वर्ष थी।
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