चार धाम छड़ी यात्रा का उद्देश्य समाज को एक सूत्र में पिरोना
प्रदेश, गांव, शहर सहित मानव में मानवता का अधिक विकास हो
उत्तराखंड की देवभूमि आगे भी अनंतकाल तक देवभूमि बनी रहे
गुरूग्राम। आदिगुरु शंकराचार्य भगवान द्वारा प्रारम्भ की गई चार धाम छड़ी यात्रा का उद्देश्य विभाजित एवं विखण्डित सनातन समाज को एक सूत्र में पिरोना है। जिससे यह उत्तराखण्ड की देवभूमि आगे भी देवभूमि ही बनी रहे । उत्तराखण्ड सहित भारत के प्रत्येक कोने , प्रदेश, गांव, शहर सहित मानव में मानवता का और अधिक विकास हो।
यहाँ सरकार मूलभूत सुविधाओं की ब्यवस्था करे । यहाँ उच्च कोटि के आाधुनिक चिकित्सा सुविधा युक्त हॉस्पिटल तत्काल बनाने की आवश्यकता है । सनातन धर्म सुरक्षित होगा, तभी देश सुरक्षित हो सकता है। यह बात श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में चार धाम छड़ी यात्रा के श्री बद्रीनाथ धाम दर्शन-पूजन के पश्चात् अनेकों मन्दिरों में दर्शन-पूजन के पश्चात् कर्णप्रयाग के प्रसिद्ध माता नन्दा देवी के मन्दिर पहुँचने पर कही गई। यह जानकारी शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द के नीजि सचिव स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती के द्वारा मीडिया से सांझा करते हुए दी गई।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष/सभापति श्री महन्त स्वामी प्रेम गिरि जी महाराज के नेतृत्व में आयोजित चार धाम छड़ी यात्रा का महन्त एवम् श्रद्धालुओं ने स्वागत किया । इसी मौके पर माता नन्दा देवी मन्दिर में पवित्र छड़ी का पूजन किया सपूर्ण विधि विधन एवं मंत्रोेच्चारण के बीच किया गया ।
यात्रा के कर्णप्रयाग में रात्रि विश्राम के पश्चात् कर्णप्रयाग के श्री उमा महेश्वर आश्रम पहुँचने पर स्वामी ऐश्वर्य नाथ ने पवित्र छड़ी का पूजन किया । कर्णप्रयाग से कौसानी जाते समय बैजनाथ महादेव धाम सहित अन्य कई मन्दिरों में दर्शन-पूजन किया गया। रात्रि विश्राम कौसानी में हुआ। चार धाम छड़ी यात्रा के उद्देश्य के बारे में पूज्य शंकराचार्य भगवान ने कहा यह जगत कल्याण सहित सनसतन धर्म संस्कृति की ध्वजा फहराते रहने के सकल्प के साथ ही की जा रही है।
इस यात्रा में स्वामी शिव दत्त गिरि, स्वामी विश्वम्भर भारती, स्वामी पुष्कर गिरि, विश्वगुरु स्वामी करुणानन्द सरस्वती, स्वामी अखण्डानन्द तीर्थ, स्वामी श्रवणदेव आश्रम, स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती सहित सैकड़ों नागा सन्यासी एवम् सनातन धर्मावलम्बियों की सहभागिता रही।
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