अदालती आदेश: संपदा अधिकारी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए।
एक्सक्लूसिव | राकेश गर्ग
गुडग़ांव टाइम्स न्यूज
गुरुग्राम। कानून केवल निजी नागरिकों के खिलाफ लागू करने के लिए नहीं है, वह सबके लिए है। कानून का पालन करने की सबसे अधिक जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर ज्यादा है। अदालत के आदेशों की पालना ना करने पर उनके पास कोई बहाना नहीं होना चाहिए। लगता है कि विधि की प्रक्रिया में कोई सार नहीं रह गया। अत: पुलिस आयुक्त को आदेश दिया जाता है कि संपदा अधिकारी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए।
तत्काल मिली जानकारी अनुसार संपदा अधिकारी को सह सिविल जज (जूनियर डिवीजन) गुरूग्राम की अदालत में पेश किया गया। यह मसला एच. एस.वी.पी. बनाम नरेंद्र सिंह यादव वा अन्य शीर्षक से था और आवंटित प्लॉट नंबर 64 सेक्टर-38 गुरूग्राम को लेकर था।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने साल 2013 में उक्त प्लॉट के एलॉटमेंट को निरस्त करने का आदेश पारित कर दिया था। जिसको चुनौती देते हुए प्लॉट मालिक ने दीवानी कोर्ट गुरुग्राम का दरवाजा खटखटाया। उक्त आदेश की दीवानी वाद पर विचारण के बाद अदालत ने वादी के हक में 22.01.2015 को फैसला देते हुए डिक्री पास कर दी। तत्पश्चात, उपरोक्त डिक्री को जिला अदालत के समक्ष चुनौती दी गई पर अपील दायर करने में हुई देरी का कोई ठोस कारण ना बता सकने पर अपीलीय अदालत ने प्राधिकरण की अपील को खारिज कर दी।
जिसके खिलाफ सिविल रिवीजन भी माननीय उच्च न्यायालय चंडीगढ़ द्वारा निरस्त कर दी थी। उधर इसी समय डिक्री धारक ने वर्ष 2018 में उपरोक्त वर्णित डिक्री के निष्पादन हेतु इसकी एग्जिक्यूशन दाखिल कर दी जिसमे निष्पादन न्यायालय द्वारा प्राधिकरण को कारण बताओ नोटिस जारी किया, परंतु प्राधिकरण द्वारा कई मौके लेने के बाद भी उक्त डिक्री के खिलाफ ना तो एतराज पेश किए गए, ना ही डिक्री की पालना न करने का कारण बताया गया। तत्पश्चात निष्पादन न्यायालय ने प्राधिकरण के संबंधित एस्टेट अधिकारी को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश किए।
इन आदेशों पर भी प्राधिकरण ने पालना न की। प्राधिकरण के इस मनमानी को रोकने के लिए कोर्ट ने एस्टेट अधिकारी के गिरफ्तार कर न्यायिक बंदी आदेश जारी कर दिए वा डिक्री धारक को डाइट मनी जमा करने को कहा। जिसपर प्राधिकरण ने चीफ एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा हाई कोर्ट ने रिवीजन दाखिल की।
प्राधिकरण के अदालती आदेश की पालना न करने पर उच्च न्यायालय ने तल्ख लहजे में कहा की न्यायालय का आदेश एक बार पारित होने पर उसका पालन करना आवश्यक है। अगर इस तरह की ढिलाई सरकारी अधिकारी की ओर से होती है तो वह स्वीकार्य नहीं है। जाहिर तौर पर कानून केवल आम जनता के खिलाफ लागू करने के लिए नही है। कानून का पालन करने की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों पर अधिक है। हाई कोर्ट ने उक्त मामले में सख्त रुख लेते हुए पुलिस आयुक्त गुरुग्राम को आदेश दिया कि प्राधिकरण के संबंधित एस्टेट अधिकारी को 29 मई 2023 की रात्रि 12 बजे तक गिरफ्तार कर 30 मई सुबह 10 बजे निष्पादन न्यायालय गुरुग्राम के सामने पेश किया जाए।
यह भी पढ़े – विटामिन डी के सेवन से कम होता है इस जानलेवा बीमारी का खतरा
हमारे इंस्टाग्राम पेज से जुड़े – क्लिक करे।