दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फिल्म निर्देशकों को दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के नाम, कैरिकेचर और उनकी बायोपिक “न्याय: द जस्टिस” को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज करने से रोक दिया है। हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह द्वारा प्रस्तुत याचिका पर जारी किय।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस भी जारी कर जवाब मांगा और अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की। अपीलकर्ता पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत के समक्ष अपीलकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रतिवादियों ने सुशांत सिंह राजपूत के जीवन की कहानी का व्यावसायिक रूप से शोषण किया है। इससे पहले कोर्ट ने अपीलकर्ता सुशांत सिंह राजपूत के पिता से जवाब मांगा था कि फिल्म पहले ही रिलीज हो चुकी है अथवा नहीं। सुशांत सिंह के पिता ने अपने बेटे के नाम, कैरिकेचर या ऐसी किसी संभावना का उपयोग करने से वर्तमान व भविष्य में बनने वाली किसी भी व्यावसायिक और सभी अन्य फिल्मों पर निषेधाज्ञा की मांग करते हुए अदालत का रुख किया। उनका दवा है कि उनके बेटे के एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में उनके अभिनेता बेटे से संबंधित सभी अधिकार उनके पास हैं। इसके इतर, उन्होंने कहा की इस तरह की फिल्में राजपूत के पिता के रूप में उनके निजता के अधिकार को प्रभावित करती हैं और सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के कारण पर चल रहे विभिन्न मामलों की जांच एवं निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को भी प्रभावित करती हैं।
सिंह का आरोप है कि प्रतिवादी, जिनमें फिल्म “न्याय: द जस्टिस” के निर्माता, निर्देशक और आउटलाइनर शामिल हैं, जो 11 जून को रिलीज होने वाली थी, SSR का जीवन और उनकी मृत्यु के आसपास की परिस्थितियाँ, उनके व्यावसायिक लाभ के लिए “मीडिया उन्माद और जनता की जिज्ञासा का शोषण करने की कोशिश कर रहे हैं।” उनका तर्क है कि सितंबर, 2020 में उनके वकील ने व्यापक रूप से प्रसारित बयान में कहा था, “वादी के बेटे पर आधारित कोई भी फिल्म, पुस्तक या सिरीज उसके परिवार की पूर्व सहमति प्राप्त किए बिना नहीं बनाई जानी चाहिए। इसके बावजूद प्रतिवादी नंबर 1 से 4 , परिवार से संपर्क किए बिना ही एक फिल्म बना रहे हैं, जो ‘न्याय: द जस्टिस’ शीर्षक से “सुशांत सिंह राजपूत को श्रद्धांजलि है।”
वादी ने कहा कि सरला ए सरावगी और राहुल शर्मा द्वारा निर्मित, दिलीप गुलाटी द्वारा निर्देशित और फिल्म को सरला के पति, अशोक सरावगी नामक एक वकील द्वारा रेखांकित किया गया है। किशोर कृष्ण सिंह का तर्क है कि इसके परिणामस्वरूप “सेलिब्रिटी अधिकारों” या “प्रचार के अधिकार” का उल्लंघन हुआ है, जो उनकी मृत्यु से पहले उनके बेटे सुशांत के थे, तथा अब सुशांत की मृत्यु के पश्चात, उन्हें सुशांत के एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में विरासत में मिला है। सिंह ने आगे कहा की, “बड़े पैमाने पर जनता को मृतक के व्यक्तित्व का व्यावसायिक रूप से शोषण करके अप्रत्याशित लाभ प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”
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