भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी से यह अनुरोध किया है कि वे उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से 65 वर्ष तक बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाएं। लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने का अनुरोध मुख्य न्यायाधीश ने 2 अलग-अलग पत्र लिखे हैं, जिसमें लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए अनुरोध भी किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 224 (3) और 124 (2) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में 65 वर्ष है। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी। सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या, संसद द्वारा अनुच्छेद 124 (1) के अनुसार बनाए गए कानून तहत 31 तय की गई है। इसलिए संसदीय विधान के माध्यम से ही यह क्षमता बढ़ाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में बीते मई में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्तियों के साथ 31 न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत क्षमता हो चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा है, “आप इस तरह से याद करेंगे कि वर्ष 1988 में, लगभग 3 दशकों में उच्चतम न्यायालय जजों की क्षमता 18 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी और फिर वर्ष 2009 में 2 दशकों के बाद, मुख्य न्यायाधीश सहित इसे बढ़ाकर 31 कर दिया गया था। संस्था की क्षमता का मामलों की दर के साथ तालमेल बनाए रखा जाना चाहिए।”
सेवानिवृत्त जजों को नियुक्तियां देने की मांग मुख्य न्यायाधीश के एक अन्य पत्र में बढ़ते लंबित मामलों से निपटने के लिए क्रमशः संविधान के अनुच्छेद 128 और 224A के अनुसार सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों को नियुक्तियां देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा, “24 हाई कोर्ट में 43 लाख से अधिक मामले लंबित होने का प्रमुख कारण है कि हम कभी बढ़ती लंबितता को पूरी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हाई कोर्ट में भी जजों की कमी है। वर्तमान में 399 पद या 37% स्वीकृत पद खाली हैं। मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरने की आवश्यकता है। हालांकि सभी हितधारकों द्वारा किए गए सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद कार्य-न्यायाधीश क्षमता को स्वीकृत न्यायाधीश क्षमता के करीब लाना अतिरिक्त न्यायाधीशों को नियुक्त किए बिना संभव नहीं है।”
“एक न्यायाधीश को विकसित होने में समय लगता है और जब तक वह अभ्यास करने के लिए समृद्ध अनुभव के आधार पर नवीन विचारों को रखने की स्थिति में होता है, वह खुद को सेवानिवृत्ति के करीब पाता है,” मुख्य न्यायाधीश ने हाई कोर्ट न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के पक्ष में तर्क देते हुए लिखा।
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