अमेरिका की सरकार ने H -1B वीज़ा को लेकर एक बड़ा एलान किया हैं । खबर आई थी की ट्रम्प प्रशासन, भारतीय आईटी पेशेवरों को जारी होने वाले H -1B वीज़ा की एक सीमा निश्चित कर सकता हैं, जो आईटी पेशेवरों क लिए परेशानी का कारण बन सकता था । परन्तु मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने H -1B वीज़ा के लिए अभी ऐसी कोई लिमिट तय करने की योजना नहीं बनाई हैं । अमेरिकी सरकार का कहना हैं की विदेशी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर डाटा इखट्टा करने के लिए विवश करने वाले राष्ट्रों पर H -1B वीज़ा पर कैप लगाने की अभी कोई योजना नहीं हैं ।
आखिर भारत के लिए क्यों जरुरी है H -1B वीज़ा
भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार हैं जो लगभग 150 अरब डॉलर का हैं। कई बड़ी भारतीय आईटी कम्पनिया जैसे टीसीएस, इनफ़ोसिस आदि हर साल अपने इंजीनियर व डेवलपर, H -1B वीज़ा पर अमेरिका भेजती हैं । इसलिए अगर वीज़ा की कोई लिमिट तय हो जाती तो, भारतीय आईटी सेक्टर को भारी नुक्सान उठाना पड़ता। अमेरिका हर साल दूसरे देशो के कर्मचारियों को अपने यहाँ काम करने की मंजूरी के तोर पर लगभग 85,000 H -1B वीज़ा जारी करता हैं जिसमे भारतीय आईटी पेशेवरों की संख्या 65 फीसदी से भी अधिक होती हैं । शुरू में यह वीज़ा केवल 3 साल के लिए मिलता हैं, लेकिन बाद में इसे 6 साल तक बढ़ाया जा सकता हैं ।